Shodashi - An Overview

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॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥

वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—

देयान्मे शुभवस्त्रा करचलवलया वल्लकीं वादयन्ती ॥१॥

The essence of those rituals lies within the purity of intention as well as depth of devotion. It is far from merely the exterior steps but The inner surrender and prayer that invoke the divine presence of Tripura Sundari.

The devotion to Goddess Shodashi is often a harmonious mixture of the pursuit of natural beauty and The search for enlightenment.

Day: On any thirty day period, eighth day of the fortnight, whole moon working day and ninth day with the fortnight are reported to be superior days. Fridays also are equally fantastic days.

She is an element with the Tridevi and the Mahavidyas, symbolizing a spectrum of divine femininity and connected to each moderate and intense elements.

॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥

Her legacy, encapsulated in the colourful traditions and sacred texts, continues to tutorial and inspire These on the path of devotion and self-realization.

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥

In case you are chanting the Mantra for a specific intention, generate down the intention and meditate on it five minutes right before commencing Along with the Mantra chanting and five minutes once the Mantra chanting.

सर्वोत्कृष्ट-वपुर्धराभिरभितो देवी समाभिर्जगत्

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया click here प्रारम्भ कर लेता है।

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